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नगर पालिका परिषद देवप्रयाग में आपका स्वागत है

इतिहास

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार ‘गंगा’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा ‘गंगा’ कहलाती है। यह टेहरी से १८ मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है।

कार्यालय-नगर पालिका परिषद देवप्रयाग

देवप्रयाग समुद्र सतह से १५०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है और निकटवर्ती शहर ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा ७० किमी० पर है। यह स्थान उत्तराखण्ड राज्य के पंच प्रयागों में से एक माना जाता है। इसके अलावा इसके बारे में कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने को राजी कर लिया तो ३३ करोड़ देवी-देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे। तब उन्होंने अपना आवास देवप्रयाग में बनाया जो गंगा की जन्म भूमि है। भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद यही से पवित्र नदी गंगा का उद्भव हुआ है। यहीं पहली बार यह नदी गंगा के नाम से जानी जाती है।

अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी का परिचय

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कृष्ण कांत कोटियाल (अध्यक्ष)

नगर पालिका परिषद् देवप्रयाग के अध्यक्ष के रूप में, मैं देवप्रयाग की जनता के लिए साफ़ पेयजल, स्वच्छ व मजबूत सड़कें, सुगम जल निकासी सुनिश्चित करना चाहता हूँ| नगर विकास की ओर अग्रसर है, ये विकास जनता के लिए समर्पित है। इस धरोहर की रक्षा करना जनता का पूर्ण कर्त्तव्य बनता है।”मेरी मेहनत आपका विश्वास जारी रहेगा क्षेत्र का विकास”

बलवन्त सिंह बिष्ट (अधिशासी अधिकारी)

मुझे खुशी है कि मुझे नगर पालिका परिषद् देवप्रयाग के लोगों की सेवा करने का मौका मिला है। नगर पालिका परिषद् देवप्रयाग के अधिशासी अधिकारी के रूप में लोगो को बेहतर सड़क, बेहतर स्ट्रीट लाइट, स्वच्छ और सुंदर शहर, बेहतर जल आपूर्ति, कुशल युवा, गरीबी उन्मूलन व बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है|

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सुरेश चंद्र पंत (लेखा लिपिक)